अरविंद केजरीवाल: क्या से क्या हो गया
अन्ना आंदोलन २०११ के बाद भारतीय राजनीती में बहुत कुछ बदल गया है और आने वाले भविष्य की राजनीती के लिए कुछ जाने पहचाने और कुछ अनजान चेहरे हमारे सामने आये | लेकिन जो सबसे ज्यादा चेहरा या व्यक्ति जो लगभग सभी जगह अपनी पहुंच दर्ज करवा रहा है वो है अरविन्द केजरीवाल
कुछ एक साल सरकारी पद पर नौकरी करने के बाद सरकारी पद त्याग कर राजनीती में आया हुआ ऐसा व्यक्ति जो एक सरकारी पद के अधिकार और सरकारी पद पर काम करने वालों का व्यवहार का जानकार | आज
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- शिक्षा सुधार: केजरीवाल ने दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए। उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं, जैसे कि नया पाठ्यक्रम और बेहतर बुनियादी ढाँचा।
- स्वास्थ्य सेवाएं: उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए मोहल्ला क्लिनिक की स्थापना की, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो सकें।
- जल और बिजली: AAP सरकार ने घरेलू बिजली और पानी के बिलों में छूट देने की योजना भी लागू की।
- महिलाओं की सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए, उन्होंने कई योजनाओं का शुभारंभ किया, जैसे "दिल्ली पुलिस के नंबर पर सीधा संपर्क" करना।
- भ्रष्टाचार के आरोप: कई बार उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है। उनके राजनीतिक विरोधी अक्सर उन पर अपनी पार्टी के सदस्यों के भ्रष्ट आचरण के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
- धार्मिक मुद्दे: उनके द्वारा उठाए गए धर्मनिरपेक्षता के सवाल भी विवादित रहे हैं।
- केन्द्र सरकार के साथ टकराव: केजरीवाल ने कई बार केन्द्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उनके और केंद्र के बीच मतभेदों ने कई बार राजनीतिक संकट पैदा किया है।
- दिल्ली की राजनीति: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति में एक नया नजरिया पेश किया। उनकी नीति-निर्माण की क्षमता ने अन्य राजनीतिक दलों को चुनौती दी और नई सोच को उजागर किया।
- आम आदमी का प्रतिनिधित्व: उनकी पाइपर की भावना ने किए गए कार्यों ने लोगों के मन में एक नई उम्मीद जगाई। वे आम आदमी के मुद्दों को उठाने वाले नेता बन गए हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव: AAP अब केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रह गई है। पार्टी ने अब अन्य राज्यों में भी अपने पांव फैलाना शुरू कर दिया है।
गोवा चुनाव के समय भी आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे की गोवा चुनाव भी अरविन्द केजरीवाल ने बहुत ही ढोल नगाड़े के साथ आगाज़ किया था ताकि यदि कुछ प्रतिशत ही वोट भाजपा के विरुद्ध कांग्रेस का स्थानान्तरण कर पाया तो गोवा चुनाव में ताल ठोकना आप पार्टी के लिए सफल सिद्ध हो जायेगा | लेकिन गोवा चुनाव में आप पार्टी की जितना लाभ मिलना चाहिए वो लाभ हासिल नहीं हुआ | लेकिन गोवा में अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा कर आने वाले चुनाव की रूप रेखा को बहु-आयामी कर दिया गया है | आने वाले गोवा चुनाव में आप पार्टी विशेष कर कांग्रेस के वोट में सेंध लगाएगी, लेकिन गोवा कांग्रेस को अपना वोट बचाने का कोई भरोसेमंद विकल्प नजर ही नहीं आ रहा है | क्यूँ की कांग्रेस अपने वोटर को किसी तरह का आश्वासन ही नहीं दे पा रही है की हम मजबूत विपक्ष के रूप में बहुत अच्छा काम कर रहे है | आने वाले चुनाव में कांग्रेस अपनी सरकार बना सकती है |
पंजाब चुनाव में आप पार्टी को बहुमत मिलना एक तरह से बिल्ली के भाग का छींका टूटना जैसा ही है | क्यूँ की अकाली दल अपने बड़ बोले पन से अपनी साख खो रहे थे | और साथ ही कांग्रेस अमरिंदर सिंह जैसे अनुभवी नेता को अपने से दूर धकेल रही थी | तभी अरविन्द केजरीवाल को मौक़ा मिला पंजाब में खाली स्थान भरने का और केजरीवाल और आप पार्टी ने कोई गलती नहीं किया और पंजाब को अपनी राजनीती का नया अखाड़ा बना दिया | जिसमें ऐसे-ऐसे चुनावी वादे किये गये है जो साधारण सोच का मानवी भी बता सकता है की यह चुनावी वादे पुरे नहीं होने है | लेकिन पंजाब की राजनीती में विकल्पहीनता ने आप पार्टी को अनुभवहीन भागवत मान जैसे नेता को अपना मुख्यमत्री के रूप चुनना पड़ा |
आने वाल गुजरात चुनाव में अरविन्द केजरीवाल अपनी पुरानी चुनाव शैली का प्रयोग करने वाला है ताकि कांग्रेस के कुछ प्रतिशत वोट आप पार्टी में स्थानांतर हो जाये ताकि कांग्रेस का विकल्प आप पार्टी बन सके और उसके बाद के चुनाव में गैर कांग्रेसी दल के विरुद्ध आप पार्टी के पलड़ा भरी हो |
आप पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की राजनीती से बचने के उपाय
आप पार्टी की या अरविन्द केजरीवाल की चुनावी राजनीति से बचना है तो सभी राजनितिक दलों को अपने आप में कुछ सुधार करना होगा, जैसे
- भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना
- कानून का पालन अनिवार्य रूप से करना
- रोटी कपड़ा और मकान की जरुरत पूरी करना
- स्वास्थ्य सेवाओं की सभी तक पहुँच
- बिजली पानी की सभी तक पहुँच
- पढाई का स्तर ऊपर उठाना
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