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अरविन्द केजरीवाल क्या और क्यूँ

अरविन्द केजरीवाल क्या और क्यूँ

अरविंद केजरीवाल: क्या से क्या हो गया

अन्ना आंदोलन २०११ के बाद भारतीय राजनीती में बहुत कुछ बदल गया है और आने वाले भविष्य की राजनीती के लिए कुछ जाने पहचाने और कुछ अनजान चेहरे हमारे सामने आये | लेकिन जो सबसे ज्यादा चेहरा या व्यक्ति जो लगभग सभी जगह अपनी पहुंच दर्ज करवा रहा है वो है अरविन्द केजरीवाल 

कुछ एक साल सरकारी पद पर नौकरी करने के बाद सरकारी पद त्याग कर राजनीती में आया हुआ ऐसा व्यक्ति जो एक सरकारी पद के अधिकार और सरकारी पद पर काम करने वालों का व्यवहार का जानकार | आज

अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक करियर 2. अरविंद केजरीवाल की पार्टी (AAP) 3. अरविंद केजरीवाल के प्रमुख नीतियाँ 4. अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार 5. अरविंद केजरीवाल का जनसंपर्क कार्य 6. अरविंद केजरीवाल के चुनावी वादे 7. अरविंद केजरीवाल की शिक्षाई पृष्ठभूमि 8. अरविंद केजरीवाल के विवाद 9. अरविंद केजरीवाल का राष्ट्रीय राजनीति में योगदान 10. अरविंद केजरीवाल और दिल्ली का विकास 11. अरविंद केजरीवाल का पीएम मोदी के साथ संबंध 12. अरविंद केजरीवाल की स्वास्थ्य नीतियाँ 13. अरविंद केजरीवाल के इंटरव्यू और बयान 14. अरविंद केजरीवाल की युवा नीतियाँ 15. अरविंद केजरीवाल और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन 16. अरविंद केजरीवाल का पुरस्कार और सम्मान 17. अरविंद केजरीवाल का परिवार और व्यक्तिगत जीवन 18. अरविंद केजरीवाल का सोशल मीडिया प्रभाव 19. अरविंद केजरीवाल की आलोचना 20. अरविंद केजरीवाल के चुनावी रणनीतियाँ

हर जगह अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा रहा है,  और अपने सरकारी पद पर अर्जित ज्ञान या अनुभव का लाभ अपनी राजनीती में बखूबी इस्तेमाल कर रहा है | अरविंद केजरीवाल, भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व, एक जननेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। उनका जीवन और करियर एक विशेष कहानी को बयां करता है, जो संघर्ष, कार्यकर्ता भावना और नीतिगत परिवर्तन से भरा हुआ है। इस लेख में, अरविंद केजरीवाल की शुरूआत, उनकी उपलब्धियां, उनके द्वारा उठाए गए कदम, उनके खिलाफ उठाए गए विवाद और उनके प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। आज उसका पूरा जीवन परिचय जानते हैं 
शुरुआत
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त, 1968 को पंजाब के सिवान गांव में हुआ। उनके पिता का व्यवसाय एक बिजली इंजीनियर के रूप में था और इसने उनके शैक्षणिक कौशल को विकसित करने में मदद की। उन्होंने पहले IIT खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और फिर 1995 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अंतर्गत कार्य शुरू किया। कार्य के दौरान केजरीवाल ने भारतीय समाज की कई परेशानियों का गहराई से अध्ययन किया। यह उनकी विचारधारा को आकार देने का एक महत्वपूर्ण अवधि थी।
राजनीतिक करियर का आरंभ
अरविंद केजरीवाल ने 2006 में "उदारिता" नामक एनजीओ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीय समाज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई करना था। इसके बाद उन्होंने 2011 में आम आदमी आंदोलन में भाग लिया, जिसने भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन का रूप लिया। इस आंदोलन ने उन्हें एक प्रमुख जननेता के रूप में स्थापित किया। 
आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन
2012 में, अरविंद केजरीवाल ने "आम आदमी पार्टी" (AAP) की स्थापना की। AAP का उद्देश्य भारतीय राजनीति को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाना था। पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में हिस्सा लिया और अपने पहले ही चुनाव में 28 में से 28 सीटें जीतकर सत्ता में आई। केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन वे जल्दी ही resignation दे दिए क्योंकि उन्होंने अपने प्रमुख वादों को पूरा करने में कठिनाई का सामना किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
  • शिक्षा सुधार: केजरीवाल ने दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए। उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं, जैसे कि नया पाठ्यक्रम और बेहतर बुनियादी ढाँचा।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए मोहल्ला क्लिनिक की स्थापना की, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो सकें। 
  • जल और बिजली: AAP सरकार ने घरेलू बिजली और पानी के बिलों में छूट देने की योजना भी लागू की। 
  • महिलाओं की सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए, उन्होंने कई योजनाओं का शुभारंभ किया, जैसे "दिल्ली पुलिस के नंबर पर सीधा संपर्क" करना।
विवाद और आलोचनाएँ
अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक करियर विवादों से रहित नहीं रहा। 
  • भ्रष्टाचार के आरोप: कई बार उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है। उनके राजनीतिक विरोधी अक्सर उन पर अपनी पार्टी के सदस्यों के भ्रष्ट आचरण के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। 
  • धार्मिक मुद्दे: उनके द्वारा उठाए गए धर्मनिरपेक्षता के सवाल भी विवादित रहे हैं। 
  • केन्द्र सरकार के साथ टकराव: केजरीवाल ने कई बार केन्द्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उनके और केंद्र के बीच मतभेदों ने कई बार राजनीतिक संकट पैदा किया है।
प्रभाव
  • दिल्ली की राजनीति: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति में एक नया नजरिया पेश किया। उनकी नीति-निर्माण की क्षमता ने अन्य राजनीतिक दलों को चुनौती दी और नई सोच को उजागर किया।
  • आम आदमी का प्रतिनिधित्व: उनकी पाइपर की भावना ने किए गए कार्यों ने लोगों के मन में एक नई उम्मीद जगाई। वे आम आदमी के मुद्दों को उठाने वाले नेता बन गए हैं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव: AAP अब केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रह गई है। पार्टी ने अब अन्य राज्यों में भी अपने पांव फैलाना शुरू कर दिया है। 
एक समय भारत की राजनीति की धुरी रही कांग्रेस को अपनी जगह से तेजी से सिकुड़ते हुए कमतर कर रहा है | उसके लिए अरविन्द केजरीवाल अपना हर दांव इस तरह चल रहा है की जैसे लगता है की वो सभी गैर कांग्रेसी राजनितिक दल को सीधी टक्कर देगा | लेकिन यदि गौर से देखेंगे तब आप पाएंगे की जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार है या फिर कांग्रेस का वोट दूसरी जगह स्थानातरण हो सकता है अरविन्द केजरीवाल वहीँ पर गैर कांग्रेसी दलों के सामने ताल ठोकने की कोशिश करता है | जैसे सबसे पहले दिल्ही में शीला दीक्षित सरकार को सबसे बड़ी भ्रष्ट सरकार बताना, बिजली पानी आदि फ्री का लालच देना | हर राजनेता के विरुद्ध अनर्गल बयान देना ताकि मिडिया की नजर हमेशा उस पर रहे | शीला दीक्षित के विरुद्ध उनका हजारों पन्नो का सबूत होने का दावा तो अभी तक सभी को याद ही होगा , लेकिन चुनाव जितने के बाद किसी तरह की कारवाही ही नहीं करना हमेशा ढोल में पोल सरीखा ही लगता है | 

गोवा चुनाव के समय भी आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे की गोवा चुनाव भी अरविन्द केजरीवाल ने बहुत ही ढोल नगाड़े के साथ आगाज़ किया था ताकि यदि कुछ प्रतिशत ही वोट भाजपा के विरुद्ध कांग्रेस का स्थानान्तरण कर पाया तो गोवा चुनाव में ताल ठोकना आप पार्टी के लिए सफल सिद्ध हो जायेगा | लेकिन गोवा चुनाव में आप पार्टी की जितना लाभ मिलना चाहिए वो लाभ हासिल नहीं हुआ | लेकिन गोवा में अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा कर आने वाले चुनाव की रूप रेखा को बहु-आयामी कर दिया गया है | आने वाले गोवा चुनाव में आप पार्टी विशेष कर कांग्रेस के वोट में सेंध लगाएगी, लेकिन गोवा कांग्रेस को अपना वोट बचाने का कोई भरोसेमंद विकल्प नजर ही नहीं आ रहा है | क्यूँ की कांग्रेस अपने वोटर को किसी तरह का आश्वासन ही नहीं दे पा रही है की हम मजबूत विपक्ष के रूप में बहुत अच्छा काम कर रहे है | आने वाले चुनाव में कांग्रेस अपनी सरकार बना सकती है | 

पंजाब चुनाव में आप पार्टी को बहुमत मिलना एक तरह से बिल्ली के भाग का छींका टूटना जैसा ही है | क्यूँ की अकाली दल अपने बड़ बोले पन से अपनी साख खो रहे थे | और साथ ही कांग्रेस अमरिंदर सिंह जैसे अनुभवी नेता को अपने से दूर धकेल रही थी | तभी अरविन्द केजरीवाल को मौक़ा मिला पंजाब में खाली स्थान भरने का और केजरीवाल और आप पार्टी ने कोई गलती नहीं किया और पंजाब को अपनी राजनीती का नया अखाड़ा बना दिया | जिसमें ऐसे-ऐसे चुनावी वादे किये गये है जो साधारण सोच का मानवी भी बता सकता है की यह चुनावी वादे पुरे नहीं होने है | लेकिन पंजाब की राजनीती में विकल्पहीनता ने आप पार्टी को अनुभवहीन भागवत मान जैसे नेता को अपना मुख्यमत्री के रूप चुनना पड़ा |

आने वाल गुजरात चुनाव में अरविन्द केजरीवाल अपनी पुरानी चुनाव शैली का प्रयोग करने वाला है ताकि कांग्रेस के कुछ प्रतिशत वोट आप पार्टी में स्थानांतर हो जाये ताकि कांग्रेस का विकल्प आप पार्टी बन सके और उसके बाद के चुनाव में गैर कांग्रेसी दल के विरुद्ध आप पार्टी के पलड़ा भरी हो |

आप पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की राजनीती से बचने के उपाय

आप पार्टी की या अरविन्द केजरीवाल की चुनावी राजनीति से बचना है तो सभी राजनितिक दलों को अपने आप में कुछ सुधार करना होगा,  जैसे 

  • भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना
  • कानून का पालन अनिवार्य रूप से करना 
  • रोटी कपड़ा और मकान की जरुरत पूरी करना
  • स्वास्थ्य सेवाओं की सभी तक पहुँच
  • बिजली पानी की सभी तक पहुँच
  • पढाई का स्तर ऊपर उठाना 
अरविंद केजरीवाल को राजनीति के एक प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है जो भ्रष्टाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के मुद्दों पर जोर देते हैं। उनकी कार्यशैली और सफलता ने नए नेताओं को प्रेरित किया है और भारतीय राजनीति के नए सफर की शुरुआत की है। मील के पत्थर की तरह, केजरीवाल ने संघीय राजनीति में आम आदमी की आवाज को स्पष्टता दी है और समाज के दबे-कुचले वर्गों के बीच एक आशा की किरण प्रदान की है।

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